यदि हम अपनों की गलतियों को सुधरने तक नहीं टोकते हैं, समझाने का प्रयास लगातार नहीं करते हैं, उसका विरोध नहीं करते हैं, तो उसका सम्मान तो सरे-बाजार उछलता ही है, साथ ही हमारे मुंह पर भी कालिख लगने की सम्भावना अधिकतम हो जाती है।
-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
लापरवाही के मजबूरी बन जाने से पहले जो इंसान नहीं सम्भलता है, वह गुलामी को खुला आमन्त्रण दे बैठता है।
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
पूछा बड़े अंदाज से उसने बेवजह मुस्कराने की वजह मुझसे,
इतना मैंने भी कह दिया कि ज़िंदा होने का जश्न रोज मनाता हूँ।
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
'मेधावी' और 'परिवर्तनकारी' व्यक्तियों में सिर्फ 'कम्फर्ट-ज़ोन' का ही फर्क होता है।
-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
वाहन चलाने और रिश्तेदारी निभाने में काफी कुछ समानता है, मसलन डिस्टेंस (गम्भीरता) मेंटेन करना, अपनी लेन (दायरा) में चलना, एमरजेंसी में दुसरे को टोचेन (सहायता) करना और इन सबसे बड़ी बात कि चलने से पहले अपनी गाड़ी का ऑइल, ब्रेक (अपनी कमियाँ) चेक करना।
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
अति उतावलापन ठीक नहीं, किन्तु अति सहनशीलता और भी बुरा परिणाम देता है। उचित अवसर और समय-नियोजन के अनुसार कार्य में प्रगति करते रहना सर्वोत्तम विकल्प है।
-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
Quotes by Mithilesh in Month of November 2015
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