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इस जीवन रुपी सागर में या तो किनारे पर ही खड़े रहिये अथवा तैरना सीखिये और डूबने के खतरे को कम कीजिये। 
-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'

Is jeevan roopi sagar me ya to kinare par hi khade rahiye athwa tairna seekhiye aur doobne ke khatre ko kam kijiye.
- Mithilesh 'anbhigya'
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मिथिलेश - Mithilesh

Author, Journalist, Entrepreneur

मिथिलेश पिछले 6 साल से वेबसाइट, सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रहे हैं। एक कलमकार के तौर पर लेख, कहानी, कविता इत्यादि विधाओं में निरंतर लेखन और समाज, परिवार के प्रति संवेदनशील विचार-मंथन उनकी प्रवृत्ति है। विभिन्न अख़बारों, पत्रिकाओं के संपादक-मंडल में अलग-अलग समय पर शामिल रहे हैं तो तकनीक के माध्यम को वह आज की लेखन दुनिया के लिए आवश्यक मानते हुए ब्लॉगिंग, सोशल मीडिया इत्यादि क्षेत्रों से साम्य बनाने में जुटे रहते हैं।

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