फल की इच्छा से किया गया कर्म, न प्राप्त होने की स्थिति में 'दुःख' और इच्छित फल प्राप्त होने की दशा में 'अहम्' की उत्पत्ति करता है। जबकि निष्काम कर्म से आत्म विश्वास में निरन्तर बृद्धि होती है।
_ मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
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