परम्परा, पुरुषार्थ - Tradition

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परम्परा को पुरुषार्थ के बल पर संजोना होता है और यह कार्य अक्षरधाम ने बखूबी किया है.
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'

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On the strength of tradition, honor and cherish the work that has done Akshardham.
- Mithilesh 'ignorant'

parampara ke purushaarth ke bal par sanjona hota hai aur yah kaary aksharadhaam ne bakhoobee kiya hai.
- mithilesh anabhigy

मिथिलेश - Mithilesh

Author, Journalist, Entrepreneur

मिथिलेश पिछले 6 साल से वेबसाइट, सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रहे हैं। एक कलमकार के तौर पर लेख, कहानी, कविता इत्यादि विधाओं में निरंतर लेखन और समाज, परिवार के प्रति संवेदनशील विचार-मंथन उनकी प्रवृत्ति है। विभिन्न अख़बारों, पत्रिकाओं के संपादक-मंडल में अलग-अलग समय पर शामिल रहे हैं तो तकनीक के माध्यम को वह आज की लेखन दुनिया के लिए आवश्यक मानते हुए ब्लॉगिंग, सोशल मीडिया इत्यादि क्षेत्रों से साम्य बनाने में जुटे रहते हैं।

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