एकता व संगठन - Unity is strength

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एक बार अंगूर खरीदने के लिए एक फल बेचने वाले के पास रूका..
पूछा "क्या भाव है?"गुच्छों का ?
बोला : "80 रूपये किलो ।"
पास ही अलग से कुछ अलग-अलग टूटे हुए अंगूरों के दाने पडे थे ।
मैंने पूछा : "क्या भाव है इन का ?"
वो बोला : "30 रूपये किलो"
मैंने पूछा : "इतना कम दाम क्यों..?
वो बोला : "साहब, हैं तो ये भी बहुत बढीया..!!
लेकिन .....अपने गुच्छे से टूट गए हैं ।"
मैं समझ गया कि अपने....संगठन...समाज और परिवार से अलग होने पर हमारी कीमत..........आधे से भी कम रह जाती है।
:: एकता व संगठित में ही बल है ::
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(Courtesy: Whatsapp)
Unity is strength

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मिथिलेश - Mithilesh

Author, Journalist, Entrepreneur

मिथिलेश पिछले 6 साल से वेबसाइट, सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रहे हैं। एक कलमकार के तौर पर लेख, कहानी, कविता इत्यादि विधाओं में निरंतर लेखन और समाज, परिवार के प्रति संवेदनशील विचार-मंथन उनकी प्रवृत्ति है। विभिन्न अख़बारों, पत्रिकाओं के संपादक-मंडल में अलग-अलग समय पर शामिल रहे हैं तो तकनीक के माध्यम को वह आज की लेखन दुनिया के लिए आवश्यक मानते हुए ब्लॉगिंग, सोशल मीडिया इत्यादि क्षेत्रों से साम्य बनाने में जुटे रहते हैं।

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