दूसरों के भरोसे - Mercy of others

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अगर आप दूसरों के भरोसे बैठे हैं तो वह आपके काम अवश्य आएंगे, मगर अंतिम-यात्रा में!
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
Agar aap doosro ke bharose baithe hai, to wah aapke kaam awashy aayenge, magar antim-yatra me!
- Mithilesh 'Anbhigya'

If you are sitting at the mercy of others, it will surely work for you, but in final-trip!

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मिथिलेश - Mithilesh

Author, Journalist, Entrepreneur

मिथिलेश पिछले 6 साल से वेबसाइट, सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रहे हैं। एक कलमकार के तौर पर लेख, कहानी, कविता इत्यादि विधाओं में निरंतर लेखन और समाज, परिवार के प्रति संवेदनशील विचार-मंथन उनकी प्रवृत्ति है। विभिन्न अख़बारों, पत्रिकाओं के संपादक-मंडल में अलग-अलग समय पर शामिल रहे हैं तो तकनीक के माध्यम को वह आज की लेखन दुनिया के लिए आवश्यक मानते हुए ब्लॉगिंग, सोशल मीडिया इत्यादि क्षेत्रों से साम्य बनाने में जुटे रहते हैं।

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